आजकल हर कोई फिट रहना चाहता है, और फिट रहने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते| रोज सुबह सैर पर जाते है, ढेरों वर्कआउट करते है, यहाँ तक की डाइटिंग भी करते है । लेकिन क्या आप जानते है की प्रतिदिन नियमित रूप से सूर्य नमस्कार को सही तरीके से करके भी आप फिट रह सकते है। यह अकेला योगासन ही विभिन्न व्यायामों के बराबर फायदेमंद माना जाता है योगासनो में सबसे असरदारी और लाभदायक सूर्य नमस्कार है। इसमें सभी तरीके के आसनो का सार छिपा हुआ है।
इसे करने से शरीर निरोगी और स्वस्थ होता है। और खास बात यह है की इसमें किसी भी तरह का व्यय नहीं लगता है। अमीर हो या गरीब, स्त्री हो या पुरुष, वृद्ध हो या बच्चा इसे हर कोई कर सकता है। यहाँ तक की बॉलीवुड के मशहूर हस्तिया जैसे की करीना कपूर, शिल्पा शेट्टी और विक्टोरिया बेकहम ने भी इसे पहचाना है और समय-समय पर लोगों को इसके प्रति प्रोत्साहित भी किया है।
इसमें 12 तरह के आसन होते हैं और इन 12 आसनों के साथ-साथ 12 श्लोकों का उच्चारण किया जाता है। कई लोग इसे सर्वांग व्यायाम भी कहते हैं। सूर्य नमस्कार को हमेशा प्रातःकाल खुले स्थान पर करना चाहिए। सूर्य मुद्रा हमारे शरीर के अग्नि तत्वों को संचालित करती है। सूर्य नमस्कार करने से सिर्फ वजन ही कम नहीं होता, बल्कि आँखों की रोशनी भी बढ़ती है। इसे करने से कई रोगो से छुटकारा मिलता है| तो आइये जानते है Surya Namaskar Benefits in Hindi और इसे करने का तरीका।
सूर्य नमस्कार करने से मिलते है ये स्वास्थ लाभ
- सूर्य नमस्कार से मिलते है ये स्वास्थ लाभ
- सूर्य नमस्कार करने से शरीर लचीला होता है।
- आँखों की रौशनी बढ़ती है।
- इसे करने से रीढ़ की हड्डी भी मजबूत होती है।
- मानसिक शांति पाने के लिए भी इसे रोज करना चहिये।
- बालो को सफ़ेद होने, झड़ने और रुसी से बचाने में भी सहायक है|
- वजन घटाने में यह बहुत मददगार है। इसे नियमित तौर पर करने से डाइटिंग से भी ज्यादा फायदा पहुंचता है।
- क्रोध और तनाव पर काबू पाने में यह बहुत मददगार है।
- त्वचा के लिए यह बहुत लाभप्रद योगासन है।
- इन् 12 आसनों को नियमित करने से शरीर में खून का प्रवाह सही ढंग से होता है और ब्लड प्रेशर की आशंका घटती है।
- सुबह के वक्त खुले वातावरण में सूर्य नमस्कार करने से शरीर को भरपूर मात्रा में विटामिन डी मिलता है जिससे हड्डियों में ताकत आती है।
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सूर्य नमस्कार मंत्र
सूर्य नमस्कार के 12 आसनों को करते वक्त 12 श्लोक का उच्चारण किया जाता है, इन श्लोकों में सूर्य के 12 नाम है जिससे यह आसन और अधिक प्रभावी होता है। यहाँ पढ़िए वो 12 मंत्र कौन से है
- ॐ मित्राय नमः
- ॐ रवये नमः
- ॐ सूर्याय नमः
- ॐ भानवे नमः
- ॐ खगय नमः
- ॐ पूष्णे नमः
- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
- ॐ मारिचाये नमः
- ॐ आदित्याय नमः
- ॐ सावित्रे नमः
- ॐ अर्काय नमः
- ॐ भास्कराय नमः
- ॐ सवितृ सूर्यनारायणाय नमः
जानिए सूर्य नमस्कार करने का तरीका
सूर्य नमस्कार का अभ्यास बारह स्थितियों में किया जाता है जो इस प्रकार है
- दोनों हाथों को जोड़कर सावधान की मुद्रा में सीधे खड़े हों जाये। ध्यान आज्ञा चक्र पर केंद्रित करके ‘ॐ मित्राय नमः’ मंत्र का उच्चारण करे।
- सांस लेते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाएं और ऊपर की ओर करके भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। ध्यान को गर्दन के पीछे विशुद्धि चक्र पर केंद्रित करे।
- तीसरे चरण में श्वास धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकें। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें। घुटने सीधे रहें। इस वक्त आपका माथा घुटनों का स्पर्श करता हुआ हो। ध्यान नाभि के पीछे ‘मणिपूरक चक्र’ पर केन्द्रित करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में रहे।
- श्वास भरते हुए बाएं पैर को पीछे की तरफ ले जाएं। गर्दन को अब पीछे की ओर झुकाएं। इस स्थिति में कुछ समय रुकें।
- अब धीरे-धीरे श्वास को छोड़ते हुए दाएं पैर को भी पीछे की और ले जाएं जिससे दोनों पैरों की एड़ियां मिली हुई हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें।
- अब श्वास भरते हुए दंडवत लेट जाएं।
- इसके पश्चात अब सीने से ऊपरी भाग को ऊपर की ओर उठाएं ताकि शरीर में खिंचाव हो।
- फिर पीठ के हिस्से को ऊपर की और उठाएं। सिर झुका हुआ हो और शरीर का आकार पर्वत के मुद्रा में हो।
- अब चौथी प्रक्रिया को वापिस कीजिये मतलब की बाएं पैर को पीछे ले जाएं।
- अब तीसरी स्थिति को भी दोहराएं यानी श्वास धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकें। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का छुए|
- श्वास लेते हुए दोनों हाथों को कानों से लगाये और हुए ऊपर की ओर तान देते हुए भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं।
- अब वापिस से पहली स्थिति में आ जाएं।
सूर्य नमस्कार में बरते सावधानियां
सूर्य नमस्कार जितना लाभदायक है, इसके लिए सावधानियां बरतना भी उतना ही आव्यशक है। कमर और रीढ़ की हड्डी के मरीज को इसे नहीं करना चाहिए। वहीं इसका तीसरा व पांचवा आसन सर्वाइकल और स्लिप डिस्क के रोगियों के लिए वर्जित है।
इसलिए जरूरी है कि आप अपने प्रशिक्षक को पहले अपनी मेडिकल हिस्ट्री बताएं जिससे आपको पता चले कि इसके कौन से आसन आपके लिये सही नहीं है|
इसके अतिरिक्त, यह भी जरूरी है कि इसके सभी आसनों को सही तरीके से किया जाए क्योंकि अगर कोई भी आसन गलत तरीके से किया गया तो उसके कुछ साइड एफेक्ट्स हो सकते हैं।
इसलिए जरूरी है कि आप अपने प्रशिक्षक को पहले अपनी मेडिकल हिस्ट्री बताएं जिससे आपको पता चले कि इसके कौन से आसन आपके लिये सही नहीं है|
इसके अतिरिक्त, यह भी जरूरी है कि इसके सभी आसनों को सही तरीके से किया जाए क्योंकि अगर कोई भी आसन गलत तरीके से किया गया तो उसके कुछ साइड एफेक्ट्स हो सकते हैं।
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