अनुलोम विलोम प्रणायाम में सांस लेने और छोड़ने की विधि को बार-बार दोहराया जाता है।वैसे इस प्राणायाम को ‘नाड़ी शोधक प्रणायाम’ भी कहा जाता है।इस प्रणायाम को करने से नाड़ी से जुड़े बहुत से रोग दूर होते है और आप स्वस्थ महसूस करते है। आइये जानते हैAnulom Vilom Pranayam in Hindi.
वृद्धावस्था में इस योग को करने से गठिया, सूजन और जोड़ो का दर्द ठीक होता है। यह योग आपको स्वस्थ और निरोग रखने में मदद करता है।
अनुलोम विलोम प्रणायाम करने की सही विधि
दरी और कम्बल स्वच्छ जगह पर बिछाये और उस पर अपनी सुविधानुसार सिद्धासन, स्वस्तिकासन, पद्मासन में बैठ जाये। इसके बाद आप अपनी दाहिने हाथ के अंगूठे से नासिका के दाये छिद्र को बंद कर ले। और ठीक इसी प्रकार आप अपनी दूसरी नासिका पर भी कर सकते है। इस क्रिया को पहले ३ मिनट तक करे और बाद में इसका अभ्यास १० मिनट तक करे। इस प्रणायाम को आप खुली हवा में बैठकर करे।
Anulom Vilom Pranayam in Hindi: अनुलोम विलोम प्रणायाम करने से लाभ
- अनुलोम विलोम प्रणायाम करने से वात, पित्त के विकार को दूर करता है।
- रोज़ाना इस योग को करने से फेफड़े शक्तिशाली बनते है।
- इससे नाडिया शुद्ध होती है और शरीर स्वस्थ, कांतिमय और शक्तिशाली बनता है।
- इससे शरीर का कोलेस्ट्रोल स्तर नियंत्रित रहता है।
- शुद्ध अंग शरीर के सभी अंगो में जाकर उन्हें पोषण प्रदान करता है।
- इसको करने से हृदय को शक्ति मिलती है।
अनुलोम विलोम प्रणायाम से जुडी कुछ सावधानियां
कमजोर और एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति को इस प्रणायाम को करने में दिक्कत हो सकती है। इस योग को करने में आपको थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए।
ऊपर दिए गए अनुलोम विलोम प्रणायाम को ध्यान में रखकर आप खुद को स्वस्थ रख सकते है।
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